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Best Love Story मेरा पहला प्यार : गांव की गौरी

राजीव और गौरी की कहानी एक छोटे से गांव की गलियों में बसी हुई थी, जो किसी किताब के पन्नों जैसी सरल और साफ-सुथरी थी। यह एक ऐसा प्यार था, जिसे दोनों ने न सिर्फ अपनी आंखों से महसूस किया, बल्कि अपने दिलों से भी हर पल जिया था।


Love Story मेरा पहला प्यार : गांव की गौरी
Love Story मेरा पहला प्यार : गांव की गौरी


राजीव को गौरी से पहली मुलाकात मेलापुर गांव के जाने के रास्ते पर हुई थी, जब वह अपनी साइकिल से गांव के स्कूल जा रहा था। वह नजदीकी गांव में दसवीं कक्षा के एडमिशन के लिए जा रहा था और उसकी साइकिल की टक्कर एक लड़की से हो गई। वह लड़की थी गौरी, जो रोज़ उसी रास्ते पर स्कूल जाती थी।

“तुम्हे दिखता नहीं?” गौरी ने गुस्से में आकर कहा। उसकी आवाज़ में एक अजीब सा खट्टापन था, मानो वह किसी बड़े जख्म से जूझ रही हो।

राजीव चौंकते हुए बोला, “मुझे माफ कर दो, सच में ध्यान नहीं दिया। मैने अभी नई नई साइकिल चलाना सीखी है।”

गौरी ने उसकी ओर गहरी नजर से देखा और बिना कुछ कहे चली गई। राजीव की आंखों में उसकी तस्वीर बस गई थी। वह मन ही मन सोचता रहा, “क्या गुस्सैल लड़की है! लेकिन इसमें कुछ खास तो है, और वो खास शायद मुझे कभी समझ आ जाए।”

अगले कुछ दिन बाद, राजीव और गौरी स्कूल में एक ही क्लास में आ गए। गौरी हमेशा अपनी किताबों में खोई रहती थी। स्कूल की हर छोटी-बड़ी चीज़ पर ध्यान देती थी। वह एक होशियार लड़की थी, जो हमेशा अपने भविष्य के बारे में सोचती थी। लेकिन राजीव को यह सब बहुत अजीब सा लगता। वह हमेशा उसकी ओर देखता, उसकी आदतों को समझने की कोशिश करता।

एक दिन, जब वह अपनी कक्षा में बैठे हुए गौरी को किताबों में डूबे हुए देख रहा था, तो उसने सोचा, “कभी सोचा था क्या कि एक दिन यह लड़की मेरे बारे में सोचेगी?” वह उसकी आदतों और उसकी आँखों में एक रहस्यमय सी चमक देखता था, जो उसे और भी आकर्षित करती थी। वह जानता था कि गौरी सिर्फ किताबों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि उसके भीतर भी कुछ और है।

काफी समय बाद, राजीव ने गौरी से पहली बार सीधे तौर पर बात करने का फैसला किया। एक दिन स्कूल की घंटी बजने के बाद, वह गौरी के पास गया और हलके से पूछा, “तुम हमेशा किताबों में खोई रहती हो, क्या कभी किसी से बात नहीं करती?”

गौरी ने उसे एक नज़र देखा और हल्की सी मुस्कान के साथ बोली, “कुछ बातें किताबों से बेहतर नहीं होतीं, राजीव। किताबों में वह सब कुछ मिलता है, जो दुनिया में हमें नहीं मिलता।”

राजीव थोड़ा चौंका और बोला, “तो क्या तुम सच में मुझसे बात नहीं करना चाहोगी?”

गौरी थोड़ी चौंकी और बोली, “तुमसे? क्यों?”

“क्योंकि मुझे तुमसे कुछ जानना है, तुम्हारे बारे में। मुझे लगता है तुम सिर्फ किताबों में नहीं, जीवन में भी कुछ खास हो।”

गौरी ने सिर झुका लिया, फिर धीरे से मुस्कराते हुए कहा, “मैं किसी के बारे में जल्दी से नहीं सोचती, राजीव। हमें अपना ध्यान अपनी पढ़ाई पर रखना चाहिए।”

राजीव ने हिम्मत जुटाते हुए कहा, “तो क्या तुम मानोगी कि हम दोस्त बन सकते हैं?”

गौरी की आँखों में हल्की सी झिलमिलाहट थी, मगर उसने इसे नजरअंदाज करते हुए कहा, “ठीक है, दोस्त बन सकते हैं।”

अब दोनों के बीच धीरे-धीरे एक अनचाहा सा रिश्ता बनने लगा। दोनों में एक-दूसरे को समझने और जानने का एक गहरा जुड़ाव था। गौरी का सरल स्वभाव और राजीव का मजाकिया अंदाज़ दोनों को एक-दूसरे के करीब ला रहे थे। वे अक्सर घंटों बात करते रहते, और राजीव महसूस करता कि उसकी जिंदगी अब खाली नहीं रही।

एक दिन, जब राजीव ने गौरी से कह दिया, “मुझे तुमसे बहुत प्यार है,” तो गौरी चौंकी नहीं, लेकिन उसने अपनी आँखों में गहरी उदासी महसूस की। वह बोली, “राजीव, तुम मेरे अच्छे दोस्त हो, और मैं भी तुम्हें पसंद करती हूं, लेकिन हम दोनों के रास्ते अलग हैं। हमें अभी अपने सपनों पर ध्यान देना है, इस वक्त हमारी पढ़ाई सबसे जरूरी है।

राजीव के चेहरे पर मुस्कान थी, लेकिन उसके दिल में एक दर्द था। वह समझ गया था कि गौरी का प्यार सिर्फ शब्दों में नहीं, बल्कि अपने जीवन के लक्ष्य में बसा हुआ था। उसने अपनी भावनाओं को दबा लिया और कहा, “तुम सही कह रही हो, गौरी। हम दोनों का सपना एक ही है। हमें अपनी पढ़ाई पूरी करनी है।

लेकिन एक साल और बीत गया। अब दोनों के बीच की दूरी बढ़ने लगी थी। परीक्षा के दिन नजदीक आ रहे थे और दोनों अपने भविष्य के लिए जी-जान से मेहनत कर रहे थे। पढ़ाई के बीच में दोनों के लिए समय निकालना मुश्किल हो गया था। राजीव ने कई बार गौरी से मिलने की कोशिश की, लेकिन उसका ध्यान हमेशा किताबों में ही रहता।

एक दिन, जब परीक्षा खत्म हो गई और दोनों एक-दूसरे से अपनी सफलता की ख़ुशी साझा कर रहे थे, गांव में मेला लगा था। राजीव और गौरी ने तय किया कि वे मेले में जरूर जाएंगे। यह उनका आखिरी मौका था, जब वे एक-दूसरे के साथ कुछ पल और बिता सकते थे।

मेला देखकर दोनों की आँखों में एक नई खुशी थी। झूले पर सवारी करते हुए, राजीव ने गौरी से कहा, “कभी सोचा था कि हमारे जैसे लोग एक दिन इतना खुश होंगे?

गौरी ने हंसते हुए कहा, “नहीं, लेकिन आज सब कुछ अच्छा लग रहा है।”

राजीव ने धीरे से कहा, “तुमसे प्यार करता हूं, गौरी।”

गौरी की आँखों में आंसू थे, लेकिन उसने सिर झुका लिया। “मैं भी तुमसे प्यार करती हूं, राजीव,” उसने धीमे से कहा।

वो दिन राजीव अपने जीवन में कभी भूल नहीं पाएगा। लेकिन कहानी का दुखद मोड़ तब आया, जब राजीव को शहर जाने के लिए कहा गया। उसकी आगे की पढ़ाई के लिए शहर में जाना जरूरी था।

गौरी के माता-पिता ने उसकी शादी किसी और से तय कर दी थी। यह राजीव और गौरी के लिए एक कड़ा फैसला था। गौरी ने राजीव से कहा, “तुम्हारे बिना मेरा कोई भविष्य नहीं होगा, राजीव। तुम जा रहे हो, और मैं अपना जीवन अपना रास्ता चुनकर जीने वाली हूं। मुझे माफ करना, लेकिन मैं तुमसे दूर जा रही हूं।”

राजीव ने अपनी आंखों में आंसू रोकते हुए कहा, “तुमसे कभी दूर नहीं जा सकता, गौरी। मेरा दिल हमेशा तुम्हारे पास रहेगा।”

राजीव शहर चला गया, और गौरी की शादी हो गई। वह अब किसी और के साथ अपने जीवन की नई शुरुआत करने वाली थी।

राजीव जब भी गांव वापस आता, तो गौरी की यादें उसे घेर लेतीं। वह स्कूल और गांव की गलियों में घूमते हुए उसे महसूस करता। हर जगह उसकी हंसी, उसकी बातों की गूंज सुनाई देती थी।

“तुमसे बिछड़ने के बाद भी, तुम्हारा प्यार मेरे दिल में हमेशा रहेगा, गौरी,” राजीव सोचता रहता है।

इस प्रकार, उनका प्यार अधूरा रह गया। मगर यह अधूरा प्यार दोनों के दिलों में एक गहरी और अनमोल याद बनकर हमेशा के लिए रह गया।

यह कहानी AI द्वारा जेनरेट की गई है, इसमें शब्दों का चयन या भाषा गलत हो सकती है, कृपया इसे एक काल्पनिक कहानी के रूप में ही लें और एंजॉय करें। इसका किसी भी व्यक्ति के वास्तविक जीवन से कोई संबंध नहीं है। अगर यह कहानी किसी के जीवन से मेल खाती हो, तो वह मात्र संयोग होगा।

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